लोग सही कहते है की रब ही जोड़ियाँ बनाता है। ईश्वर की मर्ज़ी के बिना कुछ नही होता। मीनाक्षी एक ऐसे घर मैं पैदा हुई थी जहाँ लड़कियों को पढ़ने लिखने और अपनी मर्ज़ी से कुछ बनने कि पूरी आज़ादी थी। पिता एंजिनीर थे। बाद में अपना बिज़्नेस शुरू किया। माँ एक अध्यापिका थीं फिर स्कूल की प्रिन्सिपल बन गयी थी। उसकी बड़ी बहन फ़ैशन डिज़ाइनर थी शादी शुदा हो कर भी दिन में दस से चौदा घंटे काम करती थी। मीनाक्षी को विचारो की स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता सिखाई गयी थी। पढ़ाई करने के बाद उसका बैंगलोर आना एक संजोग था। सोचा तो उसने यही था की वो दिल्ली,नॉएडा या गुरुग्राम में ही काम करेगी। शंकर से मिलना और फिर उससे मित्रता और घनिष्ठता भी अनायास ही हुआ। शंकर में कई अवगुण थे जिन्हें मीनाक्षी जान कर भी नज़रंदाज़ कर रही थी पर उसकी पराकाष्ठा उसका अनुचित व्यवहार था। बचपन से ही मीनाक्षी को संगीत में रुचि थी। बहुत लगन से उसने संगीत सिखा था। ईश्वर में आस्था और भजन गाने की रुचि ने उसे जीवन में कई बार मन की शांति प्रदान की। राम के लिए रक्तदान किसी लालच या पुरस्कार की इच्छा से उसने नही किया था। बस मानवता की भावना से प्रेरित हो कर ऐसा किया था। राम से मिलना और उसके साथ प्रणयसूत्र में बंध जाना अनायास ही हुआ था।इसलिए यह कहना उचित होगा की जोड़ियाँ रब ही बनाता है। राम और मीनाक्षी बहुत सुंदर विवाहित जीवन व्यतीत कर रहे है। दो नो एक दूसरे का अपना मित्र और सखा मानते है। झगड़ा नही करते हाँ कभी कभी नोक झोंक हो जाती है। जैसा हमारे यहाँ कहते है अगर घर में बर्तन होंगे तो कभी २ आवाज़ भी करेंगे । दो बेटियाँ है उनकी।बेटियों की परवरिश वो बेंटो के समान ही कर रहे है।