प्रेम, इश्क़ या मोहब्बत यह तो सबसे सुंदर और उत्तम मानवीय अनुभूति है। जिसने किसी से प्यार नहीं किया वो क्या जिया ? सदियो से प्रेम के रास्ते में बाधाये आती रही है, कभी समाज की, कभी धर्म की, और कभी रीति रिवाज की । यह कहानी एक साधारण इंसान की है जिसे जीवन भर संघर्ष, यातनाये और दुःख मिले। उसने एक लड़की से प्रेम किया और इतना प्रेम किया की उस प्रेम में वो अपना आपा भूल गया। मगर जैसा होता आया है, उस लड़की का विवाह हो गया और वो उसे भूल कर अपना जीवन सुख से जीती रही। यह साधारण मानव अपने परिश्रम से सफलता की सबसे उच्चे शिखर पर पहुँच कर भी अपने प्रेम को नहीं भुला पाया । दुर्घटना में आहत हो कर भी उसे याद करता रहा। अंत में अपने गुरू से दीक्षा प्राप्त कर संन्यासी बन गया। उसने कभी नहीं कहा कि उसके पास कोई चमत्कारी या दैवी शक्ति है। किंतु उसके अनुयायी उससे जीवन को एक नयी शैली से जीना सीख कर सांसारिक जीवन में भी चिंताहीन जीना की विधा सीखते है। उसने तो सारा जीवन दुःख पाये किंतु वो सबको सुखी जीवन का मार्ग बता गया। आगे पढ़िए यह जीवनी उस पुरुष की जो सारा जीवन किसी के लिये यह गीत गाता रहा “ आ जा तुझ को पुकारे मेरे गीत रे ओ मेरे मितवा ”।